Saturday, November 20, 2010

पामेला आंटी: पधारो म्हारे देस

पामेला एंडरसन सरीखे विश्व विख्यात दिग्गजों को उनकी मुंह मांगी कीमत पर भारत में नचाना कई चीज़ों की तरफ इशारा करता है.  

एक तो ये कि भारत की क्रय शक्ति काफी ऊंची हो गयी है. देश अब किसी को भी खरीदने का माद्दा रखता है, खासतौर से क्रिकेट और फ़िल्मी दुनिया में. देखिये न हम अपनी टीम के लिए हमेशा विदेशी कोच खरीदते हैं, आईपीएल में भी हमने दुनिया भर के खिलाडियों को खरीद डाला. मैच के दौरान कूल्हे मटकाने के लिए विदेशी चीयर लीडर खरीदने में भी पीछे नहीं रहे. वैसे राजकपूर ने भी अपनी फिल्म के लिए विदेशी कलाकार चुनी थी, लेकिन वो पामेला जितनी विख्यात नहीं थी. लेकिन इस बार कलर्स चैनल के "बिग बॉस" पर पामेला का आना चार दिन ठहरना ढाई करोड़ की रकम ऐंठना, सलमान के इशारों पर लहंगा पहन कर "मुन्नी बदनाम हुयी डार्लिंग तेरे लिए" गाने पर नाचना और हिंदी बोलने की कोशिश करना थोडा हटके है. निश्चित तौर पर विदेशियों की नज़र में भारत अब वो भारत नहीं रह गया है जिस से परहेज किया जाए. 

पामेला के आने पर मीडिया ने काफी हो-हल्ला तो किया लेकिन ये उस हो-हल्ले के सामने बिलकुल कम था जो उस साल माइकल जैक्सन के आने पर हुआ था. आम लोगों में पामेला के आने का कोई खास असर नहीं दिखा. लोगों ने इसको आराम से पचा भी लिया. ये भूमंडलीकरण का ताज़ा उदाहरण है. दुनिया सिमट चुकी है.

भारतीय लोग अब विदेशियों को देखकर हैरत में नहीं पड़ते. और रही बात देश की "मॉरल पुलिस" की तो वो भी अब चिल्ला चिल्ला कर थक चुकी है. देश की मॉरल पुलिस जितना चिल्लाती है उतना ही उसको मुंह की खानी पड़ती है. संस्कृति के तथाकथित रक्षक क्यों अपना आधार खो चुके हैं ये उनको खुद देखना होगा. खैर मॉरल पुलिस भी क्या करे जब इस बार बेचारा सूचना प्रसारण मंत्रालय भी "बिग बॉस" के सामने "स्मॉल" नज़र आया और उसका प्रसारण नियत समय पर नहीं रोक पाया.

लिहाज़ा इस नए ट्रेंड के बारे में काफी कुछ कहा भी जा सकता और नहीं भी. ये नयी दौर की हवा है जो घर घर में घुस चुकी है. अब इसी हवा में जीने की आदत डालनी होगी. रही बात आपके बच्चों की तो जितना आप उनको रोकोगे, उतनी ही उनके मन में उस चीज़ को जानने की उत्सुकता बढ़ेगी. सो उनको सलमान अंकल से संग पामेला आंटी के लटके झटके देखने दीजिये. एक नकली दुनिया और उसके अजीब से रिश्तों में जीने दीजिये, जहाँ बात बात पर आंसू टपकते हैं और खुलेपन के नाम पर सबकुछ कैमरे के सामने होता है.

हालाँकि आप सब समझते हैं कि हर चीज़ के पीछे बाज़ार है, लेकिन फिर भी आप उसको समझा नहीं सकते उसका कोई इलाज नहीं कर सकते. क्योंकि अगर आप कुछ करेंगे तो पिछड़ जायेंगे.

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