Thursday, March 13, 2008

बेरोजगारी


देश में बेरोजगारी की समस्या तो उस दिन से है जिस दिन से देश आजाद हुआ है। साठ सालों में भी हम ऐसा नहीं कह सकते कि हमारे देश में सबको रोज़गार है। बेरोजगारी का एक चेहरा अभी हाल ही में मेरठ में देखने को मिला। पॉवर कॉर्पोरेशन में फोर्थ क्लास कर्मियों के लिए रिज़र्व श्रेणी में कुछ नौकरियां निकाली थीं। बताया जाता है कि पॉवर कॉर्पोरेशन में १९७९ से भर्तियां नहीं हुई हैं। विभाग कर्मचारियों कि कमी से बुरी तरह जूझ रहा है। हारकर सरकार ने बैकलोग भरने के लिए फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों के कुछ पदों पर भरती करने के लिए कुछ आवेदन मांगे।




पूरे सूबे में कुल ५२८ पद निकाले गए। पता है कितने लोगों ने आवेदन किया, पूरे ३४००० लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन किए। यानी एक पद पर ६५ लोगों कि दावेदारी। श्रमिक पद के लिए हाईस्कूल तक पढे हुए लोग चाहिए थे। हैरत तो मुझे जब हुई जब मैं कैलाश प्रकाश स्टेडियम में भरती प्रक्रिया देखने गया। लड़कों को फिजिकल ले लिए खूब दौड़ाया जा रहा था। बमुश्किल ५००० वेतन कि नौकरी के लिए लोगों में बहुत बड़ी ललक थी। मेरठ में ७००० लोगों का फिजिकल टेस्ट लिया गया।



सबसे हैरत की बात यह थी की श्रमिक के पद पर हाईस्कूल पास लोगों को बुलाया गया था। लेकिन फिजिकल टेस्ट में पीजी किए हुए लोग भी आए थे। इकोनोमिक्स में मास्टर डिग्री कर रहे बिजनौर के यशपाल से जब मैंने पूछा की इतने पढे लिखे होने के बाद भी श्रमिक की नौकरी क्यों करना चाहते हो? तो उसने कहा की बेरोजगारी से परेशां हूँ। घर वाले चाहते हैं की कोई सरकारी नौकरी मिल जाए। इसलिए श्रमिक ही सही सरकारी नौकरी तो होगी। अब भला जब ऐसे लोग नौकरी में आएंगे तो उनको सिवाय कुंठा के क्या हाथ लगेगा। लेकिन उनको सरकारी नौकरी का ठप्पा चाहिए।


मज़ेदार बात यह है की पॉवर कॉर्पोरेशन में सबसे ऊँची कुर्सी यानी प्रबंध निदेशक के पद पर आईएएस को बैठाया जाता है। और आईएएस बनने के लिए केवल ग्रैजुएट होना जरुरी है। तो फिर देखा एम् डी ग्रैजुएट और चपरासी पीजी। कितना बढ़िया सिस्टम है अपने देश का।

3 comments:

  1. sachin g apke vichar achhche lage.mera naam anupam awasthi hai mai {c.g.} ke kanker dist. me rahta hu.mujhe sarkari naukari nahi chahiye par mai apne jile me vyapt berojgari ko dekhkar;berojgaro ke dekh kar bahut dukhi huajadi ke etne varsho ke baad bhi har hath me kaam nahi hai.mai es bhrast vyavastha ke khilaf awaj utha raha hu jiske tahat kanker berojgar sangh ka gathan kar rojgar ke liye shashan ke khilaf halla bolna chahta hu jo aap jaise vicharko ke vicharo ke bina sambhav nahi hai meri apse asha hai ki hamare es jang me apka uchit marg darshan mile.9098888200

    ReplyDelete
  2. प्रिय अनुपम भाई,
    अच्चा लगा की आपने मेरे विचार पढ़े और अपना अमूल्य सन्देश भी छोड़ा. मैं आपकी मानसिक पीड़ा को समझ सकता हूँ. दरअसल आपके जैसा हर एक युवा देश के सिस्टम से परेशान है और वो इस सिस्टम में बदलाव देखना चाहता है. उसके अन्दर कुछ करने की ललक है. मैं खुद भी इस देश के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा लेकर पत्रकारिता से जुड़ा था. लेकिन पत्रकारिता के अब मायने बदल चुके हैं. आज के इस भ्रष्ट दौर में हर चीज़ बिकाऊ है. सो, पिछले डेढ़ साल से सक्रिय पत्रकारिता से किनारा करके दिल्ली में एक एनजीओ से जुड़कर अध्यात्मिक खोज में लगा हूँ और अपने ब्लॉग के माध्यम से विचारों को प्रकट करता रहता हूँ. मुझे ख़ुशी है की आप बेरोजगारी से जूझते इस भ्रष्ट सिस्टम में बदलाव के लिए अभियान चलाना चाहते हैं. जहाँ तक वैचारिक स्तर पर सहयोग की आवश्यकता है तो मैं आपके लिए सदैव हाज़िर हूँ. कभी भी मुझ से संपर्क कर सकते हैं.

    ReplyDelete
  3. i like your thought it's too good.

    ReplyDelete