Friday, March 7, 2008

एक थी रश्मि


आओ आपको एक कहानी सुनाता हूँ। इस समाज की एक सच्ची कहानी। तो ऐसे शुरू करते हैं। एक थी रश्मि। भोली सी एक लड़की थी। मेरठ के मलियाना गाँव की ब्लाक प्रमुख की नातिन थी वो। उसका मामा शहर का कुख्यात और शातिर डॉन था। अक्सर जेल में ही रहता था। रश्मि अपने माँ बाप के साथ ननिहाल में ही रहती थी। रश्मि के मामा उधम ने जेल जाने से पहले घर की देखभाल करने को परमिंदर को रख दिया था।

रश्मि देखने में सुंदर थी, युवावस्था में कदम रखे है थे। सो उसको परमिंदर से प्यार हो गया। घर वालों को कुछ ख़बर न लगी और दोनों ने घर से भागकर शादी कर ली। अब क्या था। लोक लाज की बात खड़ी हो गई। बड़ा हंगामा खड़ा हुआ। एक तो भागकर शादी का मामला, वो भी किसी डॉन के परिवार से। मीडिया ने मामला उछाल दिया। रश्मि की नानी ब्लाक प्रमुख है। पूरे दल बल के साथ कचेहरी में मोर्चा बाँध लिया। लेकिन पुलिस प्यार करने वालों को सहयोग कर रही थी। नानी भी कम दबंग न थी। पुलिस पर अकेले भारी पड़ रही थी। लेकिन उसकी भी की एक न चली। हारकर बेहोश हो गई। रश्मि के घर में तो हाहाकार मच गया।

रश्मि को कोर्ट ने कुछ समय के लिए नारी निकेतन भेज दिया। रश्मि के घर वालों ने उसको पुचकारा, घर की इज्ज़त का हवाला दिया। उसके आगे खूब रोये। रश्मि का दिल पिघल गया। उसने घर वालों का ख्याल करके परमिंदर को छोड़ कर घर जाने का फ़ैसला लिया। वो घर चली गई। उसकी नानी ने मीडिया को बुलाकर कैमरे के सामने रश्मि को खूब पुचकारा। प्यार किया। कहा मेरी बेटी घर आ गई। मैं बहुत खुश हूँ। बात ख़त्म हो गई। यह बात अक्टूबर २००७ के पहले हफ्ते की है। समय गुजर गया और फरवरी आ गई। लेकिन पता चला की रश्मि तो लंबे समय से घर से गायब है। अक्टूबर में ही वो घर से गायब हो गई थी.

लाश मिली
अक्टूबर में ही मेरठ मुजफ्फरनगर के बॉर्डर पर गंग नहर में एक लाश पुलिस को मिली थी। लाश लड़की की थी। जब कोई दावेदार नहीं आया तो लावारिस में उसका अन्तिम संस्कार कर दिया गया। इधर परमिंदर बार बार कह रहा था की रश्मि को मार दिया गया है। उधर रश्मि का भाई बदौत जिले में किसी और मामले में पकड़ा गया। पुलिस ने उससे रश्मि के बारे में दबाब बनाया तो उसने कबूल किया की उसने रश्मि को मार दिया है। थाने में रखे कपडों से परमिंदर ने पहचान भी कर ली। तो प्यार की सजा रश्मि को यह मिली की उसको उसके है घर वालों ने ही मौत दे दी। बाकी अभी मामला कोर्ट में है। लंबा चलेगा। पता नहीं रश्मि को न्याय मिलेगा भी के नहीं। उसकी कोई पैरोकारी करने वाला भी तो कोई नहीं है।

लेकिन इस सभ्य समाज का बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा है जो इस बात को सही मानता है की रश्मि के साथ ठीक हुआ। मेरठ मुजफ्फरनगर के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में प्यार करने वालों को उनके है घर वाले मौत के घाट उतर देते हैं। ताकि आने वाली पीढ़ी इससे सबक ले और ऐसी गलती न करे। दिल्ली में बैठकर लोग बड़ी बड़ी बातें करते हैं। सेमिनार करते हैं। समाज की चिंता करते हैं। अब बताओ रश्मि की कहानी में समाज कितनी बढ़िया दिशा में जाता दिख रहा है।

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